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"परिचय देना होगा"

"परिचय देना होगा" परिस्थिति विकट है, खड़ा बड़ा संकट है। खौफ छाया ज़हान पर, आन पड़ी है,जान पर। सब मुरझाये चेहरे लेकर,  सहमें- सहमें रहते हैं। धीरज बांध इस स्थिति में, एक दूजे से कहते हैं। गर जीतना है ये जंग हमें, तो सावधान रहना होगा। अपने धैर्य और संयम का, अब परिचय देना होगा। आज जो कुछ दिन, घर में बिताए जायेंगे, यही दिन हमें, इस महामारी से बचायेंगे। स्वंय सुरक्षित रहने को, थोड़ा आर्थिक संकट सहना होगा। समय की मांग कहती हैं, हमें अपने हौसले का,  बस परिचय देना होगा। अंकिता जैन ' अवनी' (लेखिका/ कवयित्री) अशोकनगर मप्र

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